सोमवार, 7 नवंबर 2022

मन की शक्ति Mind Power

 आज बात करते हैं मन और उनकी शक्ति के बारे में। 

शरीर की शक्ति के बारे में हमलोग जानते ही है साथ ही हम तेज मन के बारे में भी जानते हैं। सुने है न कि अमुक व्यक्ति का माइन्ड बहुत शार्प है। लेकिन मन की शक्ति क्या है इसे समझते हैं। 

हमलोग मेहनत क्यों करते हैं! 

हमलोग मेहनत इन तीन चीजों के लिए करते हैं--

            १.सफल होने के लिए

            २.सुखी होने के लिए

            ३.शान्ति होने के लिए

लेकिन सबको मेहनत करने पर भी ये चीजें क्यों नहीं मिलती। चाहे कितना भी मेहनती हो या शार्प माइन्डेड हो इन चीजों से वंचित क्यों रह जाता है। 

👉क्योंकि सभी लोग मन की शक्तिओ  को पहचान नहीं पाये है और न ही इसका प्रयोग करना सीखा है। 

👉प्रो विलियम जोन्स ने कहा है कि मनुष्य अपनी मन की शक्तिओ का केवल 10% ही प्रयोग कर पाता है। औसत मनुष्य 3 से 5 प्रतिशत ही मन की शक्तिओ का प्रयोग कर पाते हैं। जो मनुष्य अपनी मन की शक्तिओ का जितना ज्यादा प्रयोग करता है वह उतना ही सफल सफल बनता है। 

👉अब सवाल ये है कि क्या दीमाग और मन एक ही चीज है। जबाब है नहीं!! 

ये दोनों अलग अलग है। दीमाग एक हार्डवेयर है एक पदार्थ हैं-इसे देख सकते है, छु सकते है, काट सकते है आदि। 

लेकिन मन एक साफ्टवेयर है, अदृश्य है इसे देख नही सकते, छु नही सकते काट नही सकते। 

👉अब हम ये तो जान ही गये कि मन क्या है। अब मन की शक्तिओ के बारे मे जानने के लिए ये जानना जरूरी है कि मन कितने प्रकार के होते हैं--

मन दो प्रकार के होते है-१.जागृत मन और दूसरा. अर्द्ध जागृत मन। 

👉जागृत मन-

जागृत मन या चेतन मन हमारे जागृत अवस्था मे काम करता है। जब हम सो जाते है तो ये काम नही करता है। ये तार्किक होता है। क्या सही है और क्या गलत है इसका निर्णय लेता है। हमारी पुरी शक्ति का 10% शक्ति चेतन मन के पास होता है। 

अर्द्ध जागृत मन-

या अवचेतन मन हमेशा काम करता है। जब हम जाग रहे होते है और जब हम सो रहे होते है तब भी। ये पास तर्क नही होता है क्या सही है और क्या गलत है। बस इसके पास जो निर्देश चला जाता है उसे कर देता है। हमारी पुरी शक्ति का 90% शक्ति अवचेतन मन के पास होता है

👍हमे सफलता प्राप्त करने के लिए अवचेतन मन को ऐसे ही निर्देश पहुचाने होंगे। चूकि अवचेतन मन के पास निर्देश चेतन मन से ही जाता है। चेतन मन मे जितने विचार और अनुभव होते है उन्ही मे से कभी कभी कोई विचार अवचेतन मन मे पहुँच जाता है। 

अब अवचेतन मन मे सही विचार जाने पर सही प्रक्रिया करके सही रिजल्ट प्रदान करता है और यदि गलत निर्देश मिल जाए तो गलत प्रक्रिया करके गलत रिजल्ट प्रदान करता है। क्योंकि उसके पास तर्क नही है कि क्या सही है और क्या गलत है। बस उसको जो निर्देश मिल जाए वो कर डालता है। 

👍चुकीं हमलोग जिस समाज और भाग दौड़ की जिंदगी में जी रहे है वहा अधिकतर नाकारात्मक बाते हावी रहती है। प्रतिदिन हमारे मन यानी चेतन मन मे जितने विचार जाते है उसमे 90% नाकारात्मक बाते जाती है। 

लेकिन हमे सफल होने के लिए अवचेतन मन को साकारात्मक बाते भेजनी है तो चेतन मन मे भी हमेशा साकारात्मक बाते सोचनी होगी। साथ ही मे हमे अधिक से अधिक नाकारात्मक बातो से दूर रहनी होगी। 

👉पुरे दिन मे कभी कभी ऐसा समय आता है जब अवचेतन मन मे सही चीजो को भेजा जा सकता है। 

पुरे दिन में चार प्रकार के तरंग निकलते है हमारे मन की चार अवस्थाओं में--

1.बिटा तरंग    -- जागृत अवस्था मे। 

2.अल्फा तरंग  -- अर्द्ध जागृत अवस्था मे। 

3.थेटा तरंग  -- सुप्त अवस्था मे। 

4.डेल्टा तरंग -- पूर्ण बेहोश अवस्था मे। 

अवचेतन मन को सुझाव निर्देश देने के लिए अल्फा तरंग की अवस्था सर्वोत्तम है क्योंकि इस समय हमारा मन न पुरा सोया रहता है न पुरी जगा रहता है। 

इस समय हमारे मन मे जो चलता है उसको चेतन मन नही रोक पाता और वो विचार हमारे अवचेतन मन मे चला जाता है। 

👍पुरे दिन मे दो बार प्राकृतिक रूप से अल्फा अवस्था आती है-

-- पहला रात को सोते समय सोने से पहले की अवस्था। 

-- दुसरा सुबह जगते समय पुरी तरह जगने से पहले की अवस्था। 

यदि इन दोनों समयों मे हम साकारात्मक बाते सोचे तो वो हमारी अवचेतन मन मे पहुँच सकतीं है और हम जीवन में सफल हो सकते है। इसिलिए हमारे धर्मग्रंथो मे कहा गया है कि सोते समय और सुबह जगते समय अच्छी बातें सोचनी चाहिए। 

👉कृत्रिम रूप से योगनिद्रा, ध्यान, एकाग्रता आदि के माध्यम से हम अल्फा अवस्था मे पहुँच सकते है और उस समय अपने अवचेतन मन को साकारात्मक निर्देश दे कर जीवन में सफल हो सकतें है👍

अब शेष अगले अंक में🏆💪

यदि जानकारी अच्छी लगे तो आपका हौसलावर्द्धन और सुझावों का मै तहे दिल से स्वागत करूँगा। 

🙏🙏नमस्कार🙏🙏

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